|| श्री शत्रुंजज मंडण ऋषभदेवाय नम: ||
|| श्री मणि-बुद्धि-मुक्ति-कमल-केसर-वचंद्र-प्रभव-हेमप्रभ सूरीश्वरेश्यो नम: ||
प.पू. योगनिष्ठ आचार्य श्री विजय केसरसूरीश्वरजी म.सा.
प.पू. गच्छाधिपति आचार्य श्री विजय हेमप्रभसूरीश्वरजी म.सा.
विश्व में अनेक तीर्थ है। इन समस्त तीथों में सौराष्ट्र में स्थित सिद्धगिरि अर्थात् श्री शत्रुंजय तीर्थ अत्यंत प्रभावशाली है। नैसर्गिक पहाड़ियों से घिरा, अध्यात्म की उर्जा से भरपूर... अनेक तीर्थंकर, महर्षिओं, संतों की साधना के परमाणुओं से भावित यह तीर्थ अनादि काल से इस मनुष्यलोक में हैं ।
यहाँ से अनंत आत्माएँ मुक्तिपुरी - मोक्ष को पा चुके है और भविष्य में भी अनंत जीव मोक्ष जाएंगे | यहाँ देवों का भी आवागमन होता है । यह तीर्थ हजारों मंदिरों से शोभित है | प्रति वर्ष, प्रति मास, प्रति दिन हजारों साधु-साध्वीओं का अविरत आवागमन रहता हैं ।
जैन शासन के श्रमण-श्रमणी एवं श्रावक-श्राविकाओं की भी यह आंतरिक भावना होती है कि जीवन का संध्याकाल, अंतिम समय यहाँ पर समाधिमय बीते.. और परलोक में सद्गति प्राप्त हो | इसी आंतरिक भावना को ध्यान में रखते हुए.. समस्त चतुर्विध संघ की भक्ति हेतु एक रमणीय मनमोहक शाताकारी परिसर निर्माण करने का संकल्प श्री हेमगिरि ट्रस्ट द्वारा गच्छाधिपति प.पू. आचार्य श्री उदयप्रमसूरीश्वरजी म.सा. की शुभ प्रेरणा से किया गया है | इस “श्री ऋषभ वत्सल धाम' के अंतर्गत... निम्नलिखित संस्थानों का निर्माण होगा |
શાશ્વતા તિર્થાધિરાજ શેત્રુંજયની પુણ્યમયી પાવનભૂમિમાં,
જયાં કણેકણમાં અનંતા સિલ્ઠો પરમગતિને પામ્યા છે.
ત્યાં પુણ્યાનુંબંધિ પુણ્યનું ભવોભવનું ભાથુ બાંધવા પુણ્યની વાવણીનો અનંતો લાભ એટલે
શ્રી ત્રષષભ વત્સલ ધામ. સાતેય ક્ષેત્રની વિરડી સમાન અલૌકિક
આયોજન - કર્મબંધનથી મુકિતના ભવ્યાતિભવ્ય આયોજનમાં આપની ચંચળ લક્ષ્મીને
શ્રીલહ્મી બનવાનો અવસર આપવા વિનંતી સહ આગ્રહ.
આવનારી પેઢીને પ્રેરણા અને જિનશાસન પ્રભાવનાના મશાવચી બનવાનો પુણ્ય અવસર
વાવી લો ભાઈ, વાવી લો.
जैन तीरथों में “तीर्थाधिराज' यह पालीताणा है | इस तीर्थ की रक्षा, शोभा बढ़ाने से अनंत पुण्य मिलता है । अन्य
तीर्थ पर किए जाने वाले दानादि सुकृत से कई गुणा लाभ इस गिरिराज पर किए जाने वाले सुकृतों से मिलता है |
यहाँ पर पधारने वाले प्रत्येक यात्रिक को सुगमता मिले एवं तीर्थाधिराज में निवास करने वाले तथा आव: गम
में निवास करनेवालों को अपनी रोजी-रोटी मिले जिससे वे भी इस तीर्थ से जुड़े रहे एवं तीर्थ रक्षा में अपना भी थी
योगदान दे पाएं... इसी उद्देश्य से मानव सेवा के भी आयोजन किये जायेंगे
विनीत : श्री हेमगिरि ट्रस्ट, अहमदाबाद