आदमी और पानी

शरीर में प्रवेश करने वाला पानी का तापमान मानव के जीवनकाल को निर्धारित करता है।

चिकित्सिक खोज जिसने दुनिया को चौंका दिया:

प्यास! यानी कष्ट और अकाल मृत्यु? लेखकः डॉ. एफ. बेटमैन

अलेक्जेंडर फ्लेमिंग - पेनिसिलिन के खोजकर्ता और नोबेल पुरस्कार विजेता के शिष्य डॉ. बेटमैन ने अपना जीवन पानी के उपचारिक गुणों के अध्ययन के लिए समर्पित किया है। बिना दवाई के 3000 से अधिक रोगियों को उन्होंने केवल गर्म पानी के उपचार से ठीक किया है।

दो गिलास गुनगुने/गर्म पानी के सेवन से पेट में अल्सर के कारण होने वाले गंभीर पेट दर्द से राहत पाया जा सकता है।

यह पुस्तक लेखक के दशकों के शोध परिणाम का सारांश प्रस्तुत करती है।

1. उन्होंने पाया कि गुनगुना/गर्म पानी निम्न रोग ठीक कर सकता है:

  1. हृदय रोग और आघात: क्योंकि गुनगुना/गर्म पानी रक्त को पतला करता है, यह प्रभावी रूप से हृदय और मस्तिष्कवाहिकीय रुकावट को रोक सकता है।
  2. ऑस्टियोपोरोसिसः क्योंकि गर्म पानी बढ़ती हड्डियों को मजबूत बना सकता है।
  3. ल्यूकेमिया और लिंफोमा: क्योंकि गुनगुना/गर्म पानी कोशिकाओं में ऑक्सीजन पहुँचा सकता है, कैंसर कोशिकाएँ अवायवीय होती हैं।
  4. उच्च रक्तचाप: क्योंकि गुनगुना/गर्म पानी प्राकृतिक मूत्रवर्धक है।
  5. मधुमेह: गुनगुना/गर्म पानी शरीर में ट्रिप्टोफैन की मात्रा को बढ़ाता है।
  6. अनिद्रा: गुनगुना/गर्म पानी प्राकृतिक नींद को नियंत्रित करने वाला पदार्थ मेलाटोनिन का उत्पादन करता है।
  7. अवसाद (डिप्रेशन): शरीर में प्राकृतिक तरीके से सेरोटोनिन की आपूर्ति बढ़ाने में गुनगुना/गर्म पानी का सेवन सहायता करता है।

2. गुनगुना/गर्म पानी के सेवन को दैनिक जीवन में उतारने की विधि:

  1. चाय की जगह गुनगुना/गर्म पानी पियें। दिन में 2-3 लीटर पानी पियें, कई बार पियें। पानी पीने के लिये प्यास लगने का इन्तजार न करें।
  2. कार्बोनेटेड पेय और कॉफी के बजाय सादा पानी पीने का प्रयास करें।
  3. आधुनिक युग में अधिकांश लोग, जिनमें डॉक्टर भी शामिल हैं, मानव शरीर में पानी की अहमियत को नहीं जानते।
  4. दवाएँ बुढ़ापे की बीमारियों को कम कर सकती हैं, लेकिन ठीक नहीं कर सकती हैं।
  5. शरीर में पानी की कमी ही कई बीमारियों का कारण है।
  6. शरीर में पानी की कमी के कारण होने वाले शारीरिक व मानसिक विकार से कई बीमारियाँ पैदा होती हैं।

3. जल जीवन का स्रोत है:

  1. मानव शरीर के विकास का कारण यह है कि हमारे शरीर में जल भंडारण की पूरी व्यवस्था मौजूद होती है।
  2. यह प्रणाली मानव शरीर में बड़ी मात्रा में पानी जमा करती है, जो शरीर के वजन का लगभग 75% है।
  3. इसकारण शरीर में पानी की कमी को कुछ समय तक हम सहन कर पाते हैं।
  4. जब मानव शरीर में पानी की कमी होती है, तो शरीर में संग्रहीत पानी आवंटित किया जाता है, और महत्वपूर्ण अंगों को पहले पर्याप्त पानी मिलता है और पोषक तत्वों का परिवहन होता है।
  5. जल के वितरण में मस्तिष्क को पूर्ण प्राथमिकता दी जाती है।
  6. मस्तिष्क मानव शरीर के वजन का 1/50 हिस्सा है, लेकिन यह कुल रक्त परिसंचरण का 18-20% प्राप्त करता है, और पानी का अनुपात भी उतना ही है।
  7. जब शरीर में पानी की कमी होती है, तो शरीर का सूखा प्रबंधन तंत्र पहले महत्वपूर्ण अंगों को पानी सुनिश्चित करेगा, ताकि अन्य अंग अपर्याप्त रूप से हाइड्रेटेड रहें।
  8. इस समय, वे एक अलार्म सिग्नल भेजेंगे, जो एक निश्चित हिस्से में पानी की कमी को दर्शाता है।

कई वर्षों के अपने चिकित्सीय अभ्यास में लेखक ने पाया कि शरीर के जिस हिस्से में पानी की भरपाई होनी है, स्पष्ट रूप से शरीर से एक संकेत मिलता है; लेकिन लोग पानी की कमी के इन लक्षणों से निपटने के लिए रसायनों का उपयोग करते हैं। दुर्भाग्य से, यह त्रुटि बनी रहती है; शारीरिक विकार की स्थिति धीरे-धीरे विकसित होती है और निर्जलीकरण अधिक से अधिक जटिल हो जाता है।

3. बर्फ का पानी न पियें:

  1. लोग 0 डिग्री तापमान के पानी का सेवन करते हैं, लेकिन पेशाब तो मानव शरीर के 37 डिग्री के तापमान के बराबर गर्म निकलता है।
  2. बर्फ के पानी को 37 डिग्री तापमान के मूत्र में कौन बदलता है?
  3. यह तिल्ली और पेट का काम है। बर्फीले पेय पीने के बाद, प्लीहा (तिल्ली) और पेट इसे बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं, इसलिए वे गुर्दे से मानव सार (या महत्वपूर्ण ऊर्जा) लेकर इस पेय को 37 डिग्री तापमान में बदल देते हैं। परन्तु मानवीय सार के अधिक दोहन से आपके गुर्दे कमजोर हो जाते हैं।
  4. यदि आप ठंडा, बर्फीला पानी पीना पसंद है, तो आपका गुर्दा कमजोर हो जाएगा जो आपकी याददाश्त को प्रभावित करेगा, और बुढ़ापे में कमजोर हड्डियों के साथ व्हीलचेयर पर बैठने को मजबूर कर देगा।

आपके शरीर में भेजा गया पानी का तापमान आपके जीवनकाल को निर्धारित करता है।